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लेखनी प्रतियोगिता -16-Dec-2021 अफसाना

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एक अफसाना बन जाती है,
एक तराना बन जाती है,
बड़ी धोखेबाज है दोस्तों---
यह जिंदगी एक जमाना बन जाती है,
रात आती है एक नई सुबह लाती है,
इस रात दिन के चक्कर में---
जीवन की रेखा कम होती जाती है,
जी लो जिंदगी जी भर के---
वक्त का कुछ पता नहीं,
टूटेगी एक दिन सांसो की डोर---
सब  उसे पता है,
इसमें ना मेरी खता है, ना तेरी खता है,
लेकिन इस भीड़ -भाड़ की दुनिया में---
जिंदगी लापता है।
संगीता वर्मा✍✍


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6 Comments

Shrishti pandey

17-Dec-2021 08:57 AM

Nice

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Swati chourasia

17-Dec-2021 06:55 AM

Wahh bohot hi khubsurat rachna 👌

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Abhinav ji

16-Dec-2021 11:50 PM

बहुत बढ़िया

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